...

14 views

"सुर्ख" सांझ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
पर्दा हटाओ देखो बाहर ढेर लगा है
लाशों का।

हाँ मानवता को फिर घाव लगा है
शहर का हर पाषाण रक्त से सना है।
कहीं मांस के टुकड़े, कहीं कपड़ों से मज़हब
ना बता सके- ऐसी भस्म का ढेर अटा है।
कम-स-कम अब तो उठो तुम...