वो शृंगारहीन थी।
वो शृंगारहीन थी
सफ़ेद पोशाक मे ,
आँखो मे काजल नही था ,बस चमक थी l
होठो पर रंग नही था बस महक थी
कोई आभूषण तो नही...
सफ़ेद पोशाक मे ,
आँखो मे काजल नही था ,बस चमक थी l
होठो पर रंग नही था बस महक थी
कोई आभूषण तो नही...