वो गलतपेह्मी
जो ख्वाब बनकर था वो आया,
जो वक्त था साथ उसने बिताया,
लम्हा था खूबसूरत बेहद,
सोचने पर किया मजबूर मुझे-" क्या है पाया"।
वह चाहना था,
या था भ्रम का ढोना
थी गलतफहमी
या उससे इशक का ऐहसास होना।
था एक आदत सा,
या फिर कोई मोह
खोने का डर था
और डर यह भी था कही...
जो वक्त था साथ उसने बिताया,
लम्हा था खूबसूरत बेहद,
सोचने पर किया मजबूर मुझे-" क्या है पाया"।
वह चाहना था,
या था भ्रम का ढोना
थी गलतफहमी
या उससे इशक का ऐहसास होना।
था एक आदत सा,
या फिर कोई मोह
खोने का डर था
और डर यह भी था कही...