आदत सी हो गई है
आदत सी हो गई है तुम्हें याद करने की
एक पल भी बिना याद के नहीं जाता।।
रहने दो मुझे इन यादों के साथ
इनके अलावा कुछ हाथ नहीं आता ।।
अरमान हो तुम मेरी जिंदगी का मगर
पूरा होगा या नहीं ये कहा नहीं जाता।।
तरसना है तड़पना है और क्या कहूं
अब रोज हाल ए दिल कहा नहीं जाता
बड़ी बैचेनी सी होती है कभी कभी
कुछ भी करके चैन नहीं आता ।।
में और मेरी तनहाई की बातें कोई
और समझकर भी समझ नहीं पाता।।
ये दोष है किस्मत का या कोई सजा है
कि अब किसी बातपर कुछ कहा नहीं जाता।।
© स्वस्तिका