...

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बारिश की बूंदें
आज बारिश की बूंदें फिर निकल पड़ी
एक नये सफर की आस में
छोड़ कर ऊंचे बादल
मुक्कमल जहान की तलाश में

कुछ मिल गईं मिट्टी में सौंधी खुशबू बन गईं
कुछ गिर गईं पेडो़ं पर पत्तियों से छन गई
कुछ ने बंजर पड़ी ज़मीं को फिर खिला दिया
कुछ ने रुख किया पहाड़ों का और बर्फ सी ठन गईं

कुछ झरनों से मिलकर मीठी हो गईं
कुछ छोटे बच्चों की मौज की सीटी हो गईं
कुछ जा मिली गंदे से गटर में और
कुछ की सागर में पडे़ मोती से प्रीती हो गई।
© thepainiwrite
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