उम्मीदों से टूटा बिस्तर
उम्मीदों से टूटे बिस्तर पर सोया हु
कोई नहीं जानता मैं कितना रोया हु
ये जो हसीं है सब झुठी है
कोई नहीं जानता की
कितनी मुश्किल से मैं इस झूठ को
सच्चा बता पाया हु
...
कोई नहीं जानता मैं कितना रोया हु
ये जो हसीं है सब झुठी है
कोई नहीं जानता की
कितनी मुश्किल से मैं इस झूठ को
सच्चा बता पाया हु
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