...

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यादें
हँसते हँसते क्यों आँसू छलक आए, समझ न सके I
हम क्या थे उसके लिए, कभी पूछ न सके I
हम वहीं रुके रहे, वो बहुत आगे निकल गए।
मालूम नहीं खुद को हम, क्यूँ न बदल सके I
कभी हम खुद को, उसके दिल में ढूंढ रहे थे।
कभी उसके लफ्जों में, अपनत्व ढूँढ रहे थे।
नहीं था कुछ भी, सब थे सादे के सादे I
हम गुमशुदा थे, बस अपना ही बजूद
ढूंढ रहे थे Raaj