...

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"आधुनिक स्त्री"
समुन्द्र सी गहरी,
तेरी सोच में,
बसा सारा संसार है,
जिसे दुखा रहा,
सारा जहाँ है,

पर तेरी जल सी,
कोमलता के आगे,
झुका भी सारा जहाँ है,

दुनिया जूझ रही,
तूझे बयान करते-करते,
पर जो लिख सके अगर,
ऐसी स्याही और कलम कहाँ हैँ,

ऐ स्त्री तू बोहोत,
अनमोल मूरत,
उस पर्वरदिगार की,
तुझे...