भारत बर्बाद हो जाता
यदि मनमोहन न होते तो भारत बर्बाद हो जाता,
संसार के नक्शे पर अपनी पहचान खो जाता।
उन्नीस इक्यानवे में यदि चौकीदार वित्त मंत्री होता,
बातें होती मंगलसूत्रों और भैंसों को खोलकर घुसपैठियों को देने की,
सुधारवादी नीतियों का नामोनिशान मिट जाता।
फिर बाबरी ढहा दिया जाता है,
सड़कों पर गलियों में पानी की तरह खून बहाया जाता है।
देश सांप्रदायिक आग में झुलस रहा था,
ऐसे परिवेश में यदि हिंदू-मुस्लिम करने वाला प्रधान मिल जाता,
तो क्या भारत तरक्की के पथ पर आगे बढ़ पाता?
देश का सोना गिरवी रखा था,
तब मनमोहन ने आर्थिक उदारीकरण का बीड़ा उठा रखा था।
सवालों का...
संसार के नक्शे पर अपनी पहचान खो जाता।
उन्नीस इक्यानवे में यदि चौकीदार वित्त मंत्री होता,
बातें होती मंगलसूत्रों और भैंसों को खोलकर घुसपैठियों को देने की,
सुधारवादी नीतियों का नामोनिशान मिट जाता।
फिर बाबरी ढहा दिया जाता है,
सड़कों पर गलियों में पानी की तरह खून बहाया जाता है।
देश सांप्रदायिक आग में झुलस रहा था,
ऐसे परिवेश में यदि हिंदू-मुस्लिम करने वाला प्रधान मिल जाता,
तो क्या भारत तरक्की के पथ पर आगे बढ़ पाता?
देश का सोना गिरवी रखा था,
तब मनमोहन ने आर्थिक उदारीकरण का बीड़ा उठा रखा था।
सवालों का...