"कैसे खुदको ही खो बैठे हम ... "
पुरे होकर भी अधूरे से है हम
कोशिश भरी इस अधुरी सी इस जींदगी मे
डर था दुसरो को खोने का
कैसे खुदको ही खो बैठे हम ?
अब ना रोने का मन होता है ना हसने का
शायद उमीद...
कोशिश भरी इस अधुरी सी इस जींदगी मे
डर था दुसरो को खोने का
कैसे खुदको ही खो बैठे हम ?
अब ना रोने का मन होता है ना हसने का
शायद उमीद...