...

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अपनों की सच्चाई...........
गमों की शाम लंबी चलनी थी
सो किसी ने साथ ना निभाया
उजाले को जल्दी ढलनी थी
सो किसी ने सहारा ना दिखाया,
लहरों के संग बहनी थी
सो किसी ने जोखिम ना उठाया
सपनों के लिए जलनी थी
सो किसी ने हौसला ना बढ़ाया,
राहों में छलते जाना था
सो किसी ने उगना ना बताया
स्वाभिमान के लिए लड़ना था
सो किसी ने बोलना ना सिखाया,
दीदार रात्रि से करनी थी
सो किसी ने सहना ना बताया
गैरों की महफिलें सजानी थी
सो किसी ने अपनापन ना जताया,
वक्त की कीमत चुकानी थी
सो किसी ने संबंधों को ना सजाया
मनन करना था झूठी शान पर
सो किसी ने सच्चाई का दर्पण ना समझाया,
संबंधो का स्वागत ऐसा था
सो हमने कुछ ना दिखलाया।

© Annu Rani💦