...

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26/11 के शहीदों का बलिदान रहेगा याद
मृत्यु की
ठंडी उंगलियों ने
मानो छुआ हो
उस फ़ौजी को
कि जिसके जिस्म में धँसे
गोलियों का हिसाब कहा पाना भी
अब मुश्किल,
अपने जिंदगी के स्वर्णिम पलो को गँवा चुका
एक बहादुर पर मृत फ़ौजी है वो
दुश्मनों की गोलियों को सीने पर सहने के बाद
खून का अम्बार लगा है इतना कि
जिद्दी दाग धोने के दावों दे भरी
साबून की टिकिया भी अब बेअसर,
आज उसके शव के पास
उसकी माँ
अधीर असहज बुढ़िया सी
करुन विलाप कर रही है
बाट जोह रही है
यमराज का
जो फिर से जान भर देगा
उसके बेटे के मृत शरीर में
उसका क्रंदन देखकर
पर मुझे पता हैं
यमराज नहीं आयेगा
क्योंकि ले गया है उसे
वह अपने साथ
किसी दूसरी दुनिया की ओर
बहुत दूर..

© Akash dey