शीर्षक - झूठ है मोहब्बत।
शीर्षक - झूठ है मोहब्बत।
हाथों में हाथों का हो जाना।
बाह में बाह डाल सो जाना।
अब इस तरह का लूट है मोहब्बत,
लगता सिर्फ़ अब झूठ है मोहब्बत।
ख़त का ज़माना नही रहा।
बस एक ठिकाना नहीं रहा।
पल-पल रहा ये टूट है मोहब्बत।
लगता सिर्फ़ अब झूठ है मोहब्बत।
वो दरीचे से देखना खोया।
वो रातों का जागना खोया।
सबसे गया रूठ है मोहब्बत।
लगता सिर्फ़ अब झूठ है मोहब्बत।
वर्षों तक वो बग़ैर देखे रहना।
वो विरहा की अग्नि का सहना।
गया कहीं पीछे छूट है मोहब्बत।
लगता सिर्फ़ अब झूठ है मोहब्बत।
धोखेबाज़ों का बना अड्डा।
सब मानते खेल गुड्डी-गुड्डा।
नहीं रहता एक खूंट है...
हाथों में हाथों का हो जाना।
बाह में बाह डाल सो जाना।
अब इस तरह का लूट है मोहब्बत,
लगता सिर्फ़ अब झूठ है मोहब्बत।
ख़त का ज़माना नही रहा।
बस एक ठिकाना नहीं रहा।
पल-पल रहा ये टूट है मोहब्बत।
लगता सिर्फ़ अब झूठ है मोहब्बत।
वो दरीचे से देखना खोया।
वो रातों का जागना खोया।
सबसे गया रूठ है मोहब्बत।
लगता सिर्फ़ अब झूठ है मोहब्बत।
वर्षों तक वो बग़ैर देखे रहना।
वो विरहा की अग्नि का सहना।
गया कहीं पीछे छूट है मोहब्बत।
लगता सिर्फ़ अब झूठ है मोहब्बत।
धोखेबाज़ों का बना अड्डा।
सब मानते खेल गुड्डी-गुड्डा।
नहीं रहता एक खूंट है...