सीरत!
क्या कहुँ ये सोच कर मेरे शब्द रुक जाते हैं
क्या लिखु ये सोच मेरी कलाम थम जाती है।
उतारने चलता हूँ सीरत को तेरी,
सूरत तेरी ख़ुद-ब-ख़ुद उतर जाती हैं||
चित्रकार न था में बस एक...
क्या लिखु ये सोच मेरी कलाम थम जाती है।
उतारने चलता हूँ सीरत को तेरी,
सूरत तेरी ख़ुद-ब-ख़ुद उतर जाती हैं||
चित्रकार न था में बस एक...