...

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इश्क़
तु होता है, तो हर लम्हा चलने सा लगता है
हर गम अपना, फिर कहीं खोने सा लगता है

मोहब्बत में मजबूरियां लाख दस्तक देंगी, गर
साथ हो तेरा, तो हर रास्ता खुलने सा लगता है

प्यार का दौर, तेरे संग जब बढ़ने लगा, तो
ख्वाबों में अरमान, कही जगने सा लगता है

तेरे साथ निभाना कोई खास किरदार चाहा
मुलाकाती दौर, कभी सफर सुहाना सा लगता है

तुमसे मिलकर मुकम्मल इश्क़ का ख्याल आया
मौसम क्या, यहां हर लम्हा बेहिसाब सा लगता है

तुझे पाकर फिर किसी की कोई कमी ना रही,
किरदार हर दिन अपना यू संवरने सा लगता है

कोशिश तुझे पाना नहीं, तेरे साथ जीना रहा
हर रोज जो पन्नों पर अब उतरने सा लगाता है

Akahita jangid (poetess)