#मौन
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
मौन से बढ़कर न शस्त्र कोई और,मौन
'मौन' रहकर भी बड़ा प्रहार करता है
मुखर शब्दों में भी जो बात नहीं
और बात में भी जिसके आवाज नहीं
कर देती है हर वो काम रहकर मौन
मौन से बड़ा कोई और प्रहार नहीं
मीना गोपाल त्रिपाठी
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
मौन से बढ़कर न शस्त्र कोई और,मौन
'मौन' रहकर भी बड़ा प्रहार करता है
मुखर शब्दों में भी जो बात नहीं
और बात में भी जिसके आवाज नहीं
कर देती है हर वो काम रहकर मौन
मौन से बड़ा कोई और प्रहार नहीं
मीना गोपाल त्रिपाठी