जान की परवाह
धूम्रपान हो गया ज़िन्दगी से ज़रूरी
शराब पीना जैसे बन गई मजबूरी
जान की परवाह किसे है आजकल
वाहन करते हैं हवा से बातें
मोबाइल के बिना कटती नहीं रातें
जान की परवाह किसे है आजकल
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शराब पीना जैसे बन गई मजबूरी
जान की परवाह किसे है आजकल
वाहन करते हैं हवा से बातें
मोबाइल के बिना कटती नहीं रातें
जान की परवाह किसे है आजकल
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