रिहायी
कहीं ज़मीं छोड़ी, कहीं आसमान छोड़ आया,
एक तेरी ख़ातिर मैं सारा जहान छोड़ आया।
एक ये ही हुनर आता था मुझको ज़िंदगी में,
मैं जहाँ भी गया कुछ निशान छोड़ आया।
उड़ न पाया तेरी क़ैद से रिहा हो कर...
एक तेरी ख़ातिर मैं सारा जहान छोड़ आया।
एक ये ही हुनर आता था मुझको ज़िंदगी में,
मैं जहाँ भी गया कुछ निशान छोड़ आया।
उड़ न पाया तेरी क़ैद से रिहा हो कर...