![...](https://api.writco.in/assets/images/post/default/story-poem/normal/heartbreak.webp)
4 views
ख़्वाबो की मल्लिका
तारीफ करूं तेरी जिनमें
वो शब्द मुझे मिल नहीं रहे
होंठ तेरे पंखुड़ियां हैं जिसकी
वो गुल और कहीं खिल नहीं रहे!!
आंखें हैं तेरी जैसे झील शराब की
ना रहे होश में जो ले ले इनका जाम
अपना पता क्या याद रहे उसको
जिसे मिल जाए तेरी गली का नाम।।
तेरे बोल निकलते हैं एक मधुर सुर में
जैसे बज रही कोई सुरीली वीणा हो
तरसते हैं मेरे कान सुनने कों तुझको
जैसे मरते हुए किसी को अमृत पीना हो।।
© Dhruv
वो शब्द मुझे मिल नहीं रहे
होंठ तेरे पंखुड़ियां हैं जिसकी
वो गुल और कहीं खिल नहीं रहे!!
आंखें हैं तेरी जैसे झील शराब की
ना रहे होश में जो ले ले इनका जाम
अपना पता क्या याद रहे उसको
जिसे मिल जाए तेरी गली का नाम।।
तेरे बोल निकलते हैं एक मधुर सुर में
जैसे बज रही कोई सुरीली वीणा हो
तरसते हैं मेरे कान सुनने कों तुझको
जैसे मरते हुए किसी को अमृत पीना हो।।
© Dhruv
Related Stories
6 Likes
4
Comments
6 Likes
4
Comments