सुनो अनजानी
हां याद है मुझे वो दिन
जब हम भी अजनबी थे
तुम भी अजनबी थे
दो पल, दो टूक बातों में
फिर अजनबी हुए
एक अजनबी के रूप में
आखिरी शब्द सुनो
कभी न मांगना तुम
किसी से प्रेम की भीख
सीखा है जीवनपर्यंत
सबसे बड़ी सीख
फिर न पड़े सहना
वो दर्द, जिसे लेके
हर घड़ी रहना पड़े
क्यों कोई बेवजह
दर्द सहे,क्या फर्क...
जब हम भी अजनबी थे
तुम भी अजनबी थे
दो पल, दो टूक बातों में
फिर अजनबी हुए
एक अजनबी के रूप में
आखिरी शब्द सुनो
कभी न मांगना तुम
किसी से प्रेम की भीख
सीखा है जीवनपर्यंत
सबसे बड़ी सीख
फिर न पड़े सहना
वो दर्द, जिसे लेके
हर घड़ी रहना पड़े
क्यों कोई बेवजह
दर्द सहे,क्या फर्क...