...

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#लिख दूं तुझे...
कविता लिखूं या किताब लिखूं
तुम पर मैं बेहिसाब लिखूं..

इल्म कम पड़ जाएं मेरी
सोच रही हूं तुम पर एक ख्वाब लिखूं..

लिखूं दूं मैं ढाई अक्षर प्रेम के
कह दो तो तेरी मुस्कान लिख दूं..

खुद की बात लिखूं या उस रात को लिखूं
या फिर आपने चांद को लिखूं ...
थोड़ी ख्वाहिशे थोड़ी बारिशें लिखूं...

चाय के साथ हमारी गज़ल लिखूं
लिख दूं जो तू कहे तो
तुझे इतवार लिखूं और खुद को शाम लिखूं ..
© Kajal Verma