...

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◆ जीवित मृत्यु ◆
ख्वाबों में उसकी मौजूदगी
आज भी है ,,
जैसे कोई एक कोमल
" लौ "
उसे छूना ,
महसूस करना ,
धीरे से उस पर मेरा सकल एकाधिकार का
दावा करना ,
एक पोर - पोर पर दुखता दर्द है ,,

फिर भी ,,,
मेरे जागने में , वह है
और निश्चित भी वही है ,
अब वो बस एक..
" फुसफुसाहट " का नाम है

और वो फुसफुसाहट मेरी
स्वांस है !!


© निग्रह अहम् (मुक्तक )