...

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डायरी की दास्ताँ
लिखना तुम मुझपर हर्फ-दर-हर्फ मैं दर्द तुम्हारे कम कर दूँगी कलम की स्याही रिसेगी मुझपर मैं आँख तुम्हारी नम कर दूँगी

टूटे काँच के टुकड़े दिल को तेरी मैं मरहम लगाकर जख्म भर दूँगी मैं डायरी हूँ तेरी खास मोहब्बत अधूरे ख्वाबों में हसीं रंग भर दूँगी

दास्तान-ए-वफा शब्दों में पिरोकर मेरे पन्नों में लाना इश्क़ कर लूँगी जब जब लिखेगा गम को मुझपर तेरी कलम को थाम मैं रो पड़ेंगी

जर्रा-जर्रा कर तुम मुझमें समाना मैं एहसास तेरा आगोश...