...

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शख़्स
न जाने मुझे कैसा लग रहा है
वो आने वाला शख़्स पराया लग रहा है
वो आयेगा ठहरेगा फिर चला जायेगा
न जाने क्यों मुझे वो मुसाफ़िर लग रहा है
कोई खुशी कोई उमंग क्यों नही है
कई बार हो चुका ये कोई पहली बार नहीं है
वो चला जाता है फिर मुझे याद नही आता
वो आकर सहारा देकर बेसहारा कर जायेगा
© बावरामन " शाख"