ठहरे वक्त का गीत
मैं घड़ी हूँ, पर ठहराव में हूँ,
वक़्त की कश्ती में, कहीं दूर बहाव में हूँ।
सुइयाँ मेरी थमी हैं, मगर देखो ज़रा,
हर बीता पल मेरी आँखों में बंद है भरा।
न धड़कन, न आवाज़, बस एक खामोशी,
मैं गिनती नहीं, फिर भी सब कुछ जानी-पहचानी।
वक़्त मुझसे गुजरता, पर मैं वहीं खड़ी,
जैसे कोई इंतजार में ठहरी हुई घड़ी।
तुम भागते हो, दौड़ते हो, मुझसे आगे,
पर मैं...
वक़्त की कश्ती में, कहीं दूर बहाव में हूँ।
सुइयाँ मेरी थमी हैं, मगर देखो ज़रा,
हर बीता पल मेरी आँखों में बंद है भरा।
न धड़कन, न आवाज़, बस एक खामोशी,
मैं गिनती नहीं, फिर भी सब कुछ जानी-पहचानी।
वक़्त मुझसे गुजरता, पर मैं वहीं खड़ी,
जैसे कोई इंतजार में ठहरी हुई घड़ी।
तुम भागते हो, दौड़ते हो, मुझसे आगे,
पर मैं...