जंग अपने आप से
हताश हूँ, निराश हूँ
ज़िन्दगी तेरी रंगीन दुनियां के काले सायें
मे जकड़ी बहुत ही बेबस लाचार हूँ,
चोला जो तन को ढके वो नहीं, इक चीर के निकाला गया लिबास हूँ,
कत्ल कर मेरा, मेरे अहसासो का अब इक ज़िंदा लाश हूँ,
समझे मेरे जज्बातों को ऐसा ना कभी हुआ अब तो गुज़रे ज़माने का अफसाना हूँ,
जो कभी ना लौटे वो मंज़र, जिसे दोहराया ना जा सके वो फ़साना हूँ,
सरे आम आज़माइस की मेरे ईमान मेरे ज़मीर की उन्ही महफ़िलो की...