आँखें..
आपकी आँखें नशीले जाम सी है ,
उतरना चाहू जिसमें हर रोज एक ऐसी शाम सी है।
एक उम्र भी कम पड़ जाए आपके साथ,
आपका मिलना हर रोज नये आयाम सी है।
आपकी आँखें नशीले जाम सी है
माना की ख़ामोशिया बहोत है हमारे बीच,
पढ़ सकू जिसे ग़जल की एक ऐसी बयार सी है।
आपकी आँखें नशीले जाम सी है।
मुस्कुराहटों के बारे मे अब क्या ही लिखू मैं,
हर नाराज़गी दिल मे ही भस्म हो जाये एक ऐसे खुमार सी है।
आपकी आँखें नशीले जाम सी है।
© Ankita siingh
उतरना चाहू जिसमें हर रोज एक ऐसी शाम सी है।
एक उम्र भी कम पड़ जाए आपके साथ,
आपका मिलना हर रोज नये आयाम सी है।
आपकी आँखें नशीले जाम सी है
माना की ख़ामोशिया बहोत है हमारे बीच,
पढ़ सकू जिसे ग़जल की एक ऐसी बयार सी है।
आपकी आँखें नशीले जाम सी है।
मुस्कुराहटों के बारे मे अब क्या ही लिखू मैं,
हर नाराज़गी दिल मे ही भस्म हो जाये एक ऐसे खुमार सी है।
आपकी आँखें नशीले जाम सी है।
© Ankita siingh