...

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रात के अंधेरे में
आंसू टप - टप गिरते हैं
जब तकिए को भिगोते है
किसने देखा रात के अंधेरे में....
मुस्काने वो बड़ी बड़ी
खिंचती कपोलों पर
सबने देखी
दिन के उजाले में....
किसने देखा रात के अंधेरे में....
ता दिन भागते दौड़ते
भीड़ से निकलकर
एकाकी मन से
साक्षात होते
प्रश्न पूछते किसने देखा....
लड़ते हक के लिए
नकली चेहरा सबने देखा
हिम्मत जुटाते नेपथ्य में
किसने देखा....
जीवन जीते सबने देखा
आकाश से विशाल
भीतर का शून्य
किसने देखा.....
खड़े हुए डटकर पैरों पर
सबने देखा
पीछे का संघर्ष
किसने देखा....
निश्चय करते दृढ़ता से
सबने देखा
पीछे की दुविधा को
किसने देखा....
आंसू टप-टप गिरते हैं....
रात के अंधेरे में.....