ठहराव
मुझे ठहराव बिल्कुल पसंद नहीं
जैसे पेड़ ठहरे हैं अपनी जगह
जैसे पहाड़ हिल नहीं सकते
जैसे समंदर चल नहीं सकता
जैसे फूल पड़े पड़े सूख जाते हैं
जैसे महल खड़े खड़े ढह जाते...
जैसे पेड़ ठहरे हैं अपनी जगह
जैसे पहाड़ हिल नहीं सकते
जैसे समंदर चल नहीं सकता
जैसे फूल पड़े पड़े सूख जाते हैं
जैसे महल खड़े खड़े ढह जाते...