...

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अपनी ज़िन्दगानी अपनी कहानी
ये जिंदगानी है तुम्हारी,
अब फैसला करने की है तुम्हारी बारी.,

लोगो का तो काम है कहना,
क्यों किसी की सोच पर निर्भर रहना.,

चाहो तोह हो जाओ अपने मन निर्भर ,
या दफना दो अपनी जिंदगी को जंजीरो मे बांधकर.,

एक बार सुन लो अपने मन की अंतरवानी,
और रच दो अपनी ज़िन्दगानी की कहानी।