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कितना कुछ किया है
ये धरती
हम सब को
कितना कुछ देती है
हम सब का
करके सारे जुल्म स्वीकार
देती हैँ, प्यार अपरम्पार
अगर कर दे मना कुछ भी देने से
सोचिये जरा
फिर लोगों को अन्न कहाँ से मिलेगा
पानी कहाँ से मिलेगा
कोई पेड़ कैसे होगा
कोई फल फूल कैसे मिलेगा
सोना,चांदी,हीरा ,जवाहरात
और भी अनगिनत खनिज पदार्थ
कैसे मिलेगा
कैसे बचेगा कोई जीवन
कहाँ दिखेगा ये सारा उपवन
हम सबको पड़ेगा ये सोचना
पृथ्वी का ख़्याल रखना
हर कोई सिर्फ अपनी अपनी ज़िम्मेदारी निभाए
धरती माता को अपना प्यार जताए ।।
हम सब को
कितना कुछ देती है
हम सब का
करके सारे जुल्म स्वीकार
देती हैँ, प्यार अपरम्पार
अगर कर दे मना कुछ भी देने से
सोचिये जरा
फिर लोगों को अन्न कहाँ से मिलेगा
पानी कहाँ से मिलेगा
कोई पेड़ कैसे होगा
कोई फल फूल कैसे मिलेगा
सोना,चांदी,हीरा ,जवाहरात
और भी अनगिनत खनिज पदार्थ
कैसे मिलेगा
कैसे बचेगा कोई जीवन
कहाँ दिखेगा ये सारा उपवन
हम सबको पड़ेगा ये सोचना
पृथ्वी का ख़्याल रखना
हर कोई सिर्फ अपनी अपनी ज़िम्मेदारी निभाए
धरती माता को अपना प्यार जताए ।।
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