...

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Nanhi si bund hu.....

💖 बूंद हूं एक नन्ही सी💖
सहेज लो तो सागर 🤗बन जाऊं
नहीं तो माटी 😱में समां जाऊं
वृक्षों के कपोलों में स्वर्ण आभा जैसी चमकूं
रवि के तेज से कहीं अपना अस्तित्व न खों दूं,
स्वाति 🙎नक्षत्र के दिन
सीप के आगोश में जाउं
मोती बनकर 🧐फिर में इतराऊं
बरसते बरसते पहुँच जाऊं
किसी व्यक्ति👩‍⚖️ के मुख पर
तो आंसू 🤩जैसी दिखलाऊं,
सारी मिलकर जब हम बरसे
तो कर्ण प्रिय संगीत 🥰बन जाऊं,
शीत लहर में 😘जाऊं में तो
स्वेत सी 🥰🤩बर्फ बन जाऊं
बूंद हूं एक नन्ही सी,
जिसमे💖 चाहो ढल जाऊं🙏💖🙏
💖💖💖💖 Swati 💖💖💖💖💖