...

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तन्हाई।।...
अंधेरा हों चुका हैं चारों तरफ छाया केवल निराशा हैं,
तन्हाई हैं, बेरुखी हैं, पतझड़ हैं, आंखो में आंसू हैं और मैं हूं।
मैं मौन हूं, मैं टूटी हूं, मैं अकेली खड़ी हूं,
उस सफर में जहां कभी तुम साथ थे मेरे।
ख़ास थे, पास थे, सारी दुनिया थे,
थे नहीं अब भी हों।
वही प्यार मेरे सीने में अब भी दफ़न...