...

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समय बड़ा बलवान है
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
न जाने क्यों उदासियों का हीं साया है
पतझड़ है मायूसी है उदासी है
सुन सुना सा तेरा मयखाना है
कल तक तो चमक था
आंखो में नूर थी
चहल - पहल था
मस्तियां थी जीवंत प्रेम था
आज ऐसा क्यों है
समय के थपेड़ों ने
तुम्हारे मयखानों को
वीरान बना दिया
समय तो सचमुच
बहुत हीं बलवान हैं
तुम्हारे मयखानों को भी हरा दिया
© Sudhirkumarpannalal Pratibha