यादें और सीख..
हजारों ठोकरें खा कर भी, नाबाद बैठा हूं
मैं जहां पर कल बैठा था , वहीं पर आज बैठा हूं।
अंधेरों से नहीं शिकवा, नहीं अब किस्मत से नाराजगी कोई,
किस्मत को भी सम्हाल लूंगा मैं, अब ये ठान बैठा...
मैं जहां पर कल बैठा था , वहीं पर आज बैठा हूं।
अंधेरों से नहीं शिकवा, नहीं अब किस्मत से नाराजगी कोई,
किस्मत को भी सम्हाल लूंगा मैं, अब ये ठान बैठा...