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कभी हार मत मानो, बस आगे बढ़ते चलो
वह बरसात क्या जिसमें बिजली ना हो,
वो जीवन क्या जिसमें प्रकाश ना हो।
वो बाग किया जिसमें हरियाली ना हो,
वो डाली क्या जिसमें कांटे ना हो।
वो तथ्य क्या जिसमें तर्क ना हो,
वो कार्य क्या जो संभव ना हो।
वह कहानी क्या जिसका अंत ना हो,
वह पतन क्या जो आजाद ना हो।
वो कर्म क्या जिसमें लगन ना,
वो जन्म क्या जिसका कोई लक्ष्य ना हो ।
© दो शब्द
वो जीवन क्या जिसमें प्रकाश ना हो।
वो बाग किया जिसमें हरियाली ना हो,
वो डाली क्या जिसमें कांटे ना हो।
वो तथ्य क्या जिसमें तर्क ना हो,
वो कार्य क्या जो संभव ना हो।
वह कहानी क्या जिसका अंत ना हो,
वह पतन क्या जो आजाद ना हो।
वो कर्म क्या जिसमें लगन ना,
वो जन्म क्या जिसका कोई लक्ष्य ना हो ।
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