...

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शीर्षक - मारे-मारे जी रहे।
शीर्षक - मारे-मारे जी रहे।

आस के सहारे जी रहे।
ख़ुदसे हारे-हारे जी रहे।
ख़बर नहीं ज़िंदगी की,
बस यूँही मारे-मारे जी रहे।

आँखों में चमक नहीं,
ज़िस्म के इशारे जी रहे।
चेहरे पर सजी मय्यत,
लेकर सिर्फ़ दरारे जी रहे।

अंदर से राख ज़िस्म,
बाहर से बेचारे जी रहे।
लेके दिल पर पत्थर,
बोझ उठा सारे जी रहे।

खोमशी के संग-संग,
आँसू पीकर खारे जी रहे।
मुर्छाए ख़्वाब मन के,
आइनों से उतारे जी रहे।

खो गई...