उम्मीद
हर रोज ये कहानी दोहराते हैं
एक दिन जरूरत होगी फिर मेरी उसे,
बस यही सोच के ज़िंदगी को सांसों की लत लगा देते हैं,
जिस्म राख का ढेर अंदर ही अंदर बटोर लेता है,
आज ना सही वो दिन बस यही सोच कर
हर रात हजारों ख़्वाब जला देते हैं...
धुंध सी यादें कोहरे से जज़्बात तेरे होने का...
एक दिन जरूरत होगी फिर मेरी उसे,
बस यही सोच के ज़िंदगी को सांसों की लत लगा देते हैं,
जिस्म राख का ढेर अंदर ही अंदर बटोर लेता है,
आज ना सही वो दिन बस यही सोच कर
हर रात हजारों ख़्वाब जला देते हैं...
धुंध सी यादें कोहरे से जज़्बात तेरे होने का...