...

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प्रेम
जिस प्रकार,
ईश्वर को श्रद्धा की,
श्रद्धा को विश्वास की
विश्वास को समर्पण की,
जरूरत होती हैं।
ठीक उसी प्रकार,
समर्पण को सत्कार,
सत्कार को प्रेम की,
जरूरत होती हैं
और प्रेम को बस ,
प्रेम से ही पाया जा सकता हैं ।