प्रथम
प्रथम स्पर्श
तुम्हारा संग मेरे
थी झुंझलाहट
थी घबराहट
था सन्नाटा माहौल जरा
उस सन्नाटे में आती आहट
था व्याकुल मन
थी अकुलाहट
था उसमें थोड़ा शरमाना
था उसमें थोड़ा मुस्काना
बिन शब्द कहे सब कह जाना
था उसमें...
तुम्हारा संग मेरे
थी झुंझलाहट
थी घबराहट
था सन्नाटा माहौल जरा
उस सन्नाटे में आती आहट
था व्याकुल मन
थी अकुलाहट
था उसमें थोड़ा शरमाना
था उसमें थोड़ा मुस्काना
बिन शब्द कहे सब कह जाना
था उसमें...