...

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औरत
अभी तो उसे वक्त ने इजाजत दी है
अभी तो जिम्मेदारियाँ कंधे से हटीं हैं
अभी तो सुकून मिला है
अभी तो लंबी साँस ली है
अभी तो खुद को जी भर निहारा है
अभी तो खुद की तरफ मुडी है
अभी तो उमंगों को बक्से से निकाला है
अभी तो सीले सपनों को धूप लगी है
अभी तो हिम्मत की है
अभी तो मन की सुनी है
अभी तो हर डर से बाहर निकली है
अभी तो खुशी मिली है
अभी तो बेपरवाही का हाथ पकडा है
अभी तो होंठों पे हँसी खिली है
अभी तो काँपते हाथों खुद को सजाया है
अभी तो खुद से प्रीत लगी है !

और तुमने बिना सोचे समझे
बिना जाने पहचाने
उसकी तरफ फिकरा उछाल दिया
कि इस उम्र में यह सब अच्छा लगता है क्या

सुनो.....
कभी उसकी जिन्दगी गुजारकर देखो न !!!!

© sapna