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वृद्धाश्रम मे दिवाली
इस तरह मेरे गुनाहों को धो देती है, मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है। यह शेर महज शेर नहीं है, बल्कि मां की वह ममता है, जो औलादों पर निछावर होती है। इस दौर में माता-पिता अपनी औलादों को पाल-पोसकर बड़ा तो कर देते हैं, लेकिन जब सुख भोगने का समय आता है तो घर से निकाल दिए जाते हैं। बुजुर्गों का ठिकाना वृद्घाश्रम बन जाता है, लेकिन मैं आपको बता दूं कि वृद्घाश्रम में रहने...