...

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उसे आना होता तो..
उसे आना ही होता तो कबका लौट आता,
मेरे बुलाने का वो, इंतज़ार तो नहीं करता,

यूं हर बार ख़ुद को सही और मुझे गलत साबित,
और ख़ुद पर इतना अहंकार तो नहीं करता,

इश्क़ में समर्पण से झुक जाना भी प्यार ही है,
मेरे दिल को चोटिल, इसपर वार तो नहीं करता,

उससे अहद-ए-वफ़ा की उम्मीद की थी मैंने,
मेरी बातों को सुनता, इस तरह इंकार तो नहीं करता..!!


© Vishakha Tripathi