...

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स्वाभिमान
मै सूर्यवंश का अनुगामी, वंदन कैसे कर सकता हूँ?
कठिन सत्य से रिश्ता गहरा, बंदी कैसे बन सकता हूँ?
धरा की गोदी सुहाती मुझको, उन्मुक्त गगन का राही हूँ,
चाल चलूं बिना रोक टोक, मैं धारागत प्रवाही हूँ।
शयन किया रेतों पर मैने, मां की लोरी का ज्ञान नहीं।
मैं हिन्द देश का वासी हूं, कोई कठपुतला इंसान नहीं।

धानी रंग की चुनर नहीं, मोहे लाल दुशाला भाती है।
मन अंगड़ाई...