एक अणु में इतनी ऊर्जा
हो विघटित विध्वंस रचे,
कर दे क्षण में सृष्टि मौन,
एक अणु में इतनी ऊर्जा,
आखिर ये भर जाता कौन?
सूक्ष्म अति इतना परमाणु,
ना नयनों को दिख पाता है,
इसमें इतनी शक्ति कैसे,
नगर भी नहीं टिक पाता है?
पात्र बड़ा हो जितना उतना,
हीं तो मिलता शीतल जल,
लेकर...
कर दे क्षण में सृष्टि मौन,
एक अणु में इतनी ऊर्जा,
आखिर ये भर जाता कौन?
सूक्ष्म अति इतना परमाणु,
ना नयनों को दिख पाता है,
इसमें इतनी शक्ति कैसे,
नगर भी नहीं टिक पाता है?
पात्र बड़ा हो जितना उतना,
हीं तो मिलता शीतल जल,
लेकर...