घर- परिवार
वो हास्टल की मस्ती,
दोस्तों का प्यार,
मस्त रहते हैं उस
छोटी सी दुनिया में।
हर महीने हम करते हैं इंतजार,
घर से आने वाले जेबखर्च का,
हमारे एक एक पल को,
बनाने के लिए खुशनुमा,
ना जाने कितनी खुशियां,
करते हैं कुबाॆन वो।
जब भी मौका मिले घर आने की,
कभी छोड़ना मत उस पल को जीने की।
आकर जियो उन लम्हों को,
जिसे जीते हैं हमारे मां -बाप।
रखकर देखो खुद को उनकी जगह,
महसूस करो उनकी परेशानियों को,
इतनी कठिनाइयों में भी,
तुम्हारी मुस्कान को जिंदा रखते हैं।
हमारी मुश्किलें तो बहुत कम हैं,
फिर भी हम हार जाते हैं
कभी जीकर देखो उनकी जिंदगी
मेहनत करने का हौसला मिलेगा।
दोस्तों का प्यार,
मस्त रहते हैं उस
छोटी सी दुनिया में।
हर महीने हम करते हैं इंतजार,
घर से आने वाले जेबखर्च का,
हमारे एक एक पल को,
बनाने के लिए खुशनुमा,
ना जाने कितनी खुशियां,
करते हैं कुबाॆन वो।
जब भी मौका मिले घर आने की,
कभी छोड़ना मत उस पल को जीने की।
आकर जियो उन लम्हों को,
जिसे जीते हैं हमारे मां -बाप।
रखकर देखो खुद को उनकी जगह,
महसूस करो उनकी परेशानियों को,
इतनी कठिनाइयों में भी,
तुम्हारी मुस्कान को जिंदा रखते हैं।
हमारी मुश्किलें तो बहुत कम हैं,
फिर भी हम हार जाते हैं
कभी जीकर देखो उनकी जिंदगी
मेहनत करने का हौसला मिलेगा।