माता का दरबार
माता का दरबार,
सारे जग से निराला माता का दरबार,
देखो जगमग करता मंदिर का द्वार।।
सोने चांदी से नहीं हीरे-मोती से नहीं,
मैं तो प्यार से करूं मां तेरा श्रृंगार।।
लाल चुनर ओढ़ाकर मेंहदी रचाऊं तेरे हाथ,
चुड़ी बिंदी झुमके कंगन सब ले आई साथ।।
सजा कर तुझे मेरी मां मैं...
सारे जग से निराला माता का दरबार,
देखो जगमग करता मंदिर का द्वार।।
सोने चांदी से नहीं हीरे-मोती से नहीं,
मैं तो प्यार से करूं मां तेरा श्रृंगार।।
लाल चुनर ओढ़ाकर मेंहदी रचाऊं तेरे हाथ,
चुड़ी बिंदी झुमके कंगन सब ले आई साथ।।
सजा कर तुझे मेरी मां मैं...