सुबह हो गई
सुबह होने को आई,
मुर्गे ने बांक दिया,
चिड़िया चहचहाने लगी,
पेड़ हिलकर नाचने लगे,
ठंडी हवाएं चलने लगी,
सुबह होने को आई।।
फसलों में ओस थी,
कालिया मुस्कराने लगे,
भवँर गुनगुने लगे,
फूलों में मड़राने लगे,
पंक्षी आकाश में उड़ चले,
दाने की खोज में,
सुबह होने को आई।।
सूरज की लालिमा आयी,
किरणे बिखरने लगी,
अंधकार खोने लगा,
ओस की बूंद टपकने लगी,
सुबह होने को आई किसान काम मे जाने लगे,
कंधों में हल लिए, बैलों की जोड़ी सँग,
औरतें निकल पड़ी,
सिर पर पानी का घड़ा,
कमर में खाना लिए,
सुबह होने को आईं।।
बच्चे चहल करने लगे,
स्कूल जाने की पहल करने लगे,
कन्धों में स्कूल बैग लिए,
माँ बाप को प्रणाम किये,
सुबह हो गई,
सुबह हो गई/चरण सिंह
© Charan singh
मुर्गे ने बांक दिया,
चिड़िया चहचहाने लगी,
पेड़ हिलकर नाचने लगे,
ठंडी हवाएं चलने लगी,
सुबह होने को आई।।
फसलों में ओस थी,
कालिया मुस्कराने लगे,
भवँर गुनगुने लगे,
फूलों में मड़राने लगे,
पंक्षी आकाश में उड़ चले,
दाने की खोज में,
सुबह होने को आई।।
सूरज की लालिमा आयी,
किरणे बिखरने लगी,
अंधकार खोने लगा,
ओस की बूंद टपकने लगी,
सुबह होने को आई किसान काम मे जाने लगे,
कंधों में हल लिए, बैलों की जोड़ी सँग,
औरतें निकल पड़ी,
सिर पर पानी का घड़ा,
कमर में खाना लिए,
सुबह होने को आईं।।
बच्चे चहल करने लगे,
स्कूल जाने की पहल करने लगे,
कन्धों में स्कूल बैग लिए,
माँ बाप को प्रणाम किये,
सुबह हो गई,
सुबह हो गई/चरण सिंह
© Charan singh