...

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प्रेम
ऐसे मोंह लगे ना, दूर हुए जो मित।
काहें को जल तूं गई,बिन कारण भयी प्रीत।
मित रहे ना प्रीत रहे,"मधुबन" मृत समीप।
छाया भी ऐसे गयी, टुट गई सब रीत।
ऐसे मोह लगे ना दूर हुए जो मित।
स्व रचित (अभिमन्यु)
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