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सोचता हूं कि ऐसी भी रात गुज़ार लूं ।।
••••सोचता हूं कि एक ऐसी भी रात गुज़ार लूं•••••

सोचता हूं कि एक ऐसी भी रात गुज़ार लूं...
जहां ख्वाबों में इश्क़ और
गालों पे अश्क ना हों ...
नज़ारे हो लाख उस रात के
पर हमसे ज्यादा कोई रश्क ना हों ....

तारों से नज़्म सुनूं मैं
नींद से आंखे थोड़ी भी नम...